यहाँ पाँच धार्मिक कहानियाँ दी गई हैं जो “दीवाली” के विषय पर आधारित हैं: दीपावली के त्योहार
1. भगवान राम की अयोध्या वापसी (दीपावली के त्योहार )
प्राचीन काल में अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र, भगवान राम को 14 वर्षों का वनवास मिला। उनके साथ उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी वनवास पर गए। वन में रहते हुए, रावण ने माता सीता का हरण कर लिया और उन्हें लंका ले गया। भगवान राम ने अपने भक्त हनुमान, वानर सेना, और विभीषण की मदद से रावण का वध किया और माता सीता को वापस प्राप्त किया। 14 वर्षों के वनवास के बाद, राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे। अयोध्या की प्रजा ने उनके आगमन की खुशी में दीप जलाए, और इसी दिन से दीपावली के त्योहार मनाया जाने लगा।
संदेश: दीपावली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अन्याय पर न्याय की जीत का प्रतीक है।
2. माँ लक्ष्मी का अवतरण (दीपावली के त्योहार)
समुद्र मंथन के दौरान, देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन किया। मंथन से कई रत्न और दिव्य वस्तुएँ निकलीं। इसी मंथन से माता लक्ष्मी का प्रकट होना हुआ। वे धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। जब माँ लक्ष्मी प्रकट हुईं, तो समस्त देवताओं ने उनका स्वागत किया और उन्हें अपने जीवन में स्थान दिया। दीपावली की रात को माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन वे भक्तों के घर में धन, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देती हैं।
संदेश: माता लक्ष्मी की पूजा से धन, सुख और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. भगवान विष्णु द्वारा नरकासुर का वध
नरकासुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था जिसने कई राजाओं और देवताओं को पराजित किया था। उसने पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था और कई स्त्रियों को बंदी बना रखा था। उसकी अत्याचारों से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में नरकासुर का वध किया और बंदी स्त्रियों को मुक्त किया। इस घटना की खुशी में, लोगों ने दीप जलाए और एक दूसरे को मिठाई बाँटी। इसे “नरक चतुर्दशी” के रूप में भी मनाया जाता है, जो दीपावली के ठीक एक दिन पहले आता है।
संदेश: दीपावली हमें सिखाती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अच्छाई की जीत सुनिश्चित होती है।
4. महाराज विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
दीपावली से जुड़ी एक और कथा है महाराज विक्रमादित्य की, जो प्राचीन भारत के एक महान राजा थे। उनके न्याय, शौर्य और उदारता के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। कहा जाता है कि विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दीपावली के दिन हुआ था, और तभी से इस दिन को शुभ माना जाता है। उनके शासनकाल में प्रजा सुखी और समृद्ध थी, और उनकी न्यायप्रियता की कहानियाँ आज भी सुनी जाती हैं।
संदेश: दीपावली हमें न्याय, सदाचार और प्रजा सेवा की महत्ता का ज्ञान कराती है।
5. गोवर्धन पूजा और भगवान कृष्ण
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, जो भगवान कृष्ण की एक प्रसिद्ध लीला से जुड़ी है। जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलधार बारिश शुरू कर दी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उँगली पर उठाकर सबकी रक्षा की। उन्होंने इंद्र का अहंकार तोड़ा और गोकुलवासियों को सुरक्षा प्रदान की। इसके बाद गोकुलवासियों ने गोवर्धन की पूजा शुरू की, जिसे हम आज भी दीपावली के अगले दिन करते हैं।
संदेश: गोवर्धन पूजा हमें यह सिखाती है कि हमें प्रकृति की पूजा और उसकी रक्षा करनी चाहिए, और अहंकार से बचना चाहिए।