Makar Sankranti 2025 : सूर्य के मकर राशि में प्रवेश की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा: मकर संक्रांति का महत्व (Makar Sankranti 2025)

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है, जो उत्तरायण का आरंभ भी होता है।मकर संक्रांति का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत गहरा है ,इस पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, जिनमें से एक कथा सूर्य देव और उनके पुत्र शनि देव से जुड़ी है।Makar Sankranti 2025

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सूर्य देव, सौरमंडल के देवता हैं और उन्हें प्रकाश का देवता भी कहा जाता है। शनि देव, न्याय के देवता हैं और उन्हें ग्रहों के राजकुमार भी कहा जाता है। इन दोनों देवताओं के बीच का संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहा है। पौराणिक कथा के अनुसार, शनि देव का जन्म सूर्य देव की छाया से हुआ था। जब शनि देव का जन्म हुआ, तो वे काले रंग के थे। सूर्य देव को उनका काला रंग पसंद नहीं आया और उन्होंने शनि देव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

इस घटना के कारण शनि देव सूर्य देव से नाराज हो गए और उन्होंने सूर्य देव को श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण सूर्य देव को रोग ग्रस्त हो जाना पड़ा।सूर्य देव को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ा और उन्हें शनि देव से क्षमा मांगनी पड़ी। शनि देव ने सूर्य देव को क्षमा कर दिया, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जब भी सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तो उन्हें शनि देव का प्रभाव झेलना पड़ेगा।

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव प्रसन्न होते हैं और वे अपने भक्तों पर कृपा करते हैं।Makar Sankranti 2025

Makar Sankranti 2025


मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक प्रमुख कथा गंगा नदी और राजा भगीरथ से जुड़ी है।राजा सगर के 60,000 पुत्र थे। एक बार, उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया। यज्ञ के घोड़े को इंद्र देवता चुरा ले गए और उसे कपिल मुनि के आश्रम में छिपा दिया। राजा सगर के पुत्र घोड़े की खोज में निकले और कपिल मुनि के आश्रम पहुंच गए। उन्होंने कपिल मुनि को घोड़ा चुराने का आरोप लगाया।

क्रोधित कपिल मुनि ने अपनी तपस्या भंग होने पर सभी 60,000 पुत्रों को भस्म कर दिया।
राजा सगर के पुत्रों की मृत्यु का समाचार सुनकर राजा सगर बहुत दुःखी हुए। उन्होंने अपने पुत्रों को मोक्ष दिलाने के लिए तपस्या शुरू की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि गंगा नदी के पवित्र जल से उनके पुत्रों को मोक्ष मिल सकता है।

राजा सगर के पुत्र भगीरथ ने अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाने का आदेश दिया। लेकिन गंगा नदी का वेग इतना तेज था कि पृथ्वी इसे सहन नहीं कर पाती। इसलिए भगवान शिव ने गंगा नदी को अपने जटाओं में बांध लिया और धीरे-धीरे पृथ्वी पर गिराया।

गंगा नदी जब पृथ्वी पर आई तो उसने राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष दिलाया। इसी दिन से मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाने लगा। मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

अन्य जानकारी: (Makar Sankranti 2025)

मकर संक्रांति के दिन लोग तिल और गुड़ का सेवन करते हैं। माना जाता है कि इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं। मकर संक्रांति के दिन लोग पतंग उड़ाते हैं और अलाव जलाते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

तिल (तिल के बीज) और गुड़ का महत्व:
तिल और गुड़ को पोषक तत्वों का एक शक्तिशाली संयोजन माना जाता है।माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण होते हैं और सर्दियों के दौरान शरीर को गर्म रखने के लिए इनका सेवन किया जाता है।
तिल और गुड़ का दान करना मकर संक्रांति पर अत्यंत शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!

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