धनतेरस :
‘धन’ का मतलब है संपत्ति और ‘तेरस’ का मतलब है त्रयोदशी, जो हिंदू पंचांग में कार्तिक माह की तेरस तिथि को दर्शाता है
धनतेरस दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का पहला दिन होता है।
धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
धनतेरस हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव की भव्य शुरुआत करता है। धनतेरस का दिन लोग सोने-चांदी, आभूषण, नए बर्तन, और वाहन खरीदकर इसे और भी शुभ बनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी वस्तु खरीदी जाती है, वह समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद लाती है। घरों में दीप जलाकर लक्ष्मी पूजन किया जाता है ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य की कोई कमी न हो और घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहे। इस दिन का खास महत्व भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा से जुड़ा है।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि समुद्र मंथन से जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए, तब वे अमृत से भरा कलश लेकर आए, जो रोगों से मुक्ति और जीवन की अमरता का प्रतीक था। इस कारण धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा कर स्वास्थ्य और लंबी उम्र की प्रार्थना की जाती है। साथ ही, धन के देवता भगवान कुबेर की भी आराधना की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी न हो।
धनतेरस – जीवन को नई रोशनी, नई उम्मीदें और अनंत समृद्धि से भर देता है।
धनतेरस – जीवन को नई रोशनी, नई उम्मीदें और अनंत समृद्धि से भर देता है।
धनतेरस वह शुभ अवसर है जो जीवन में नई रोशनी, नई उम्मीदें और अनंत समृद्धि का संचार करता है। यह पर्व न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य, सुख-शांति और दीर्घायु का संदेश भी देता है। धनतेरस पर लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का वातावरण बनता है।जब दीप जलाए जाते हैं और लक्ष्मी पूजन होता है, तब मान्यता है कि घर में सुख, शांति और धन-धान्य की वृद्धि होती है। सोने-चांदी के आभूषणों और बर्तनों की खरीदारी, समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
धनतेरस का यह पर्व एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो यह सिखाता है कि हमारे जीवन में सच्ची समृद्धि केवल धन में नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य, सकारात्मक सोच, और शुभ कार्यों में होती है। यह त्यौहार हमें हर दिन को एक नई रोशनी, एक नई आशा के साथ जीने की प्रेरणा देता है।
धनतेरस का त्यौहार एक नया सवेरा लाता है—जीवन में धन, स्वास्थ्य और खुशहाली का।
धनतेरस की पौराणिक कथा
धनतेरस से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं, जो इस त्योहार की धार्मिक महत्ता को प्रकट करती हैं। इनमें से सबसे प्रचलित कथा भगवान धन्वंतरि के समुद्र मंथन से प्रकट होने की है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। इस दिन को शुभ और औषधीय महत्व के रूप में मनाया जाता है।
दूसरी एक महत्वपूर्ण कथा यमराज से जुड़ी हुई है। एक बार, एक राजा की कुंडली में भविष्यवाणी की गई कि उनके पुत्र की मृत्यु शादी के चौथे दिन हो जाएगी। इस भविष्यवाणी से बचने के लिए, राजा की पत्नी ने धनतेरस के दिन घर के बाहर दीपक जलाया और कीमती आभूषणों का ढेर रखा, ताकि यमराज का ध्यान उनके पुत्र से हट जाए। यह यमदीपदान की परंपरा की शुरुआत थी, जो धनतेरस पर आज भी निभाई जाती है।
धनतेरस पर पूजा विधि
धनतेरस की पूजा के लिए सबसे पहले घर की साफ-सफाई और प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। फिर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा के साथ भगवान धन्वंतरि की मूर्ति स्थापित की जाती है। विशेष रूप से इस दिन पीतल के बर्तन या सोने-चांदी के आभूषण खरीदने की परंपरा है, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान दीप जलाने और लक्ष्मी माता की आरती करने का विशेष महत्त्व है।
धनतेरस पर खरीदारी का बहुत महत्त्व है, खासकर धातु के बर्तन और सोने-चांदी की वस्तुओं की। इस दिन को नया कुछ खरीदने का प्रतीकात्मक दिन माना जाता है, जिससे घर में संपन्नता और समृद्धि आती है। कई परिवार इस दिन वाहन, घर और अन्य संपत्तियों की खरीदारी भी करते हैं, ताकि उनका जीवन धन और सुख से भरपूर रहे।
धनतेरस पर यमदीपदान का महत्त्व
धनतेरस पर यमदीपदान की परंपरा भी प्रचलित है। यह दीप जलाने का कार्य मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने और अकाल मृत्यु से बचने के लिए किया जाता है। यमदीपदान के अंतर्गत, घर के बाहर और तुलसी के पौधे के पास दीप जलाकर यमराज से परिवार की सुरक्षा और दीर्घायु की कामना की जाती है।
निष्कर्ष “धनतेरस क्यों मनाया जाता है”
धनतेरस हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो न केवल धन और संपत्ति की पूजा करता है, बल्कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन की भी कामना करता है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्ची समृद्धि केवल भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य, मन की शांति और पारिवारिक सुख में निहित है। इस दिन की परंपराएँ और मान्यताएँ हमें अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने के लिए प्रेरित करती हैं।